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Ashok Patel

Crime Tragedy

4.1  

Ashok Patel

Crime Tragedy

इंसाफ (Justice For Asifa)

इंसाफ (Justice For Asifa)

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Hang till death...


अब तक सिर्फ़ दिल की चाहत लिखी है

आज क़लम ने किसी की आहत लिखी है


ए मालिक, ये तेरी कैसी लापरवाही है

तु है भी, या तेरी भी सब कहानी ही है


नहीं आना मुझे तेरे दर पर तब तक

जब तक उन दरिंदो में साँस बाक़ी है


हाँ, माना इस देश का क़ानून अंधा है

पर तेरी अदालत को किसने रोका है?


क्या तुझे वो चीख़ सुनाई नहीं दी

क्या तुझे वो लहू दिखाई नहीं दिया?


जब वो बेबस थी, जब वो लाचार थी

क्या तुझे वो मंज़र महसूस नहीं हुआ?


दिया वो आख़री मौक़ा है अब तेरे पास

कर हिसाब इन बलात्कारीओ का आज


अगर ऐसे ही आज़ाद घूमे ये देश में

तो कैसे करेगा तुझ पर कोई विश्वास


तो आ इस दर्द से उठे इन अंगारो को देख ले

मेरे लफ़्ज़ों को पढ़ तु कोई करामत ही कर ले


ऐ ईश्वर-अल्लाह, तेरे बंदो पर रहमत दिखा के

इंसाफ़ में उन दरिंदो को सज़ा-ए-मौत दिला दे।


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