Ashok Patel

Abstract

5.0  

Ashok Patel

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इश्क़

इश्क़

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एक आग लगी है सीने में,

इसे अंदर ही अंदर जलने दो।


अब हो रहा जो दर्द यहाँ,

इसे और थोड़ा बढ़ने दो।


करना है मुझे महसूस इसे,

दिल से उतर रगों में बहने दो।


जलन है जो लहू में अब,

लहू से मुझको लिखने दो।


भीग रहा ये काग़ज़ अश्क़ों से,

पर क़लम को ना तुम रुकने दो।


एक आग लगी है सीने में,

इसे अंदर ही अंदर जलने दो।


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