अधूरी मोहब्बत
अधूरी मोहब्बत
याद तेरी हर दिन आयेगी,
रात कहाँ तनहा कट पायेगी।
तू बस गया है इन सांसों में ऐसे,
धड़कन कहाँ तुझ बिन चल पायेगी।
एक दफ़ा रोक तो लूँ क़दमों को,
नज़रें कहाँ देखने से ठहर पायेगी,
मुड़ जाता हूँ तेरे देखने से पहले,
बरसती आँखें कहाँ रुक पायेगी।
जा रहा है तू भी तो भीगते नयनों संग,
कहाँ वो ख़ुशियाँ अब लौट कर आयेगी।
मोहब्बत सच्ची है मिलेंगे हम कभी,
बात ये दिल को कहाँ समझ आयेगी।
बाँध लूँ मैं वक़्त को सिर्फ़ तेरे लिये,
ज़िंदगी कहाँ इस मुट्ठी में सिमट पायेगी।
मूनासिब है तू कर ले इरादा आखिरी,
तसव्वुर की ज़ंजीरों से आज़ादी पायेगी।
ख़्वाहिश थी हिज्र की तो हो गये हम जुदा,
टूट कर ज़िंदगी फिर टुकड़ों में बिखर जायेगी,
उम्मीदों से चली है अब तक कल भी चलेगी,
लड़खड़ातीं ये ज़िंदगी फिर संभल जायेगी।