विकल्प
विकल्प


तलाशती रही मैं
दर ब दर
ढूंढती रही
मगर नहीं मिला मुझे
तुम्हारा कोई विकल्प
और
इसीलिए
टूट गया मेरा संकल्प
तुम्हें भूल जाने का
कायम नहीं रह सका
मेरा प्रण
तुमसे दूर हो जाने का
जानती हूं यह भी
कि, तुम नहीं हो कहीं
मगर ......
यकीन पक्का है
तुम हो यहीं कहीं
शायद मेरे भीतर
ठीक वैसे ही
जैसे कस्तूरी रहता है
मृग के भीतर ..........!!