विजय तिलक
विजय तिलक
दशम दिवस विजया दशमी का ,
विजय तिलक पाप पर पुण्य का,
शक्ति आराधना प्रभु ने कर डाली,
दशानन भी था बहुत शक्तिशाली,
माँ शैलपुत्री
माँ ब्रह्मचारिणी
माँ चन्द्रघंटा
माँ कुष्मॉंडा
माँ स्कन्दमाता
माँ कात्यायनी
माँ कालरात्रि
माँ महागौरी
माँ सिद्धिदात्री
नवरात्रि में माँ के नौ रूप ,
चमक रहे दामिनी स्वरूप,
दसों बाजुयें फड़क रहीं थीं ,
पाप विनाश को मचल रही थीं
नैनों की ज्वाला भस्म कर रही ,
वसुधा पाप मुक्त अब हो रही,
उधर दशानन का बढ़ा ऊधम,
लहरा रहा असुरों का परचम,
लंका को लील गया दावानल,
दसशीश रह गया कुकृत्य में असफल,
राम अनुज संग कर रहे चढ़ाई,
अब दशानन की थी शामत आई,
स्त्री का जब किया अपहरण,
विनाश बुला लिया बस यूं ही अकारण,
लंका को विजयी कर लिया प्रभु ने,
हर्ष उल्लास से विजय दिवस मनाया सबने,
हर साल दशानन आता है,
हर साल ही मारा जाता है,
असत्य पर सत्य की विजय हुई हमेशा,
यह याद दिलाने आता है ,
पाप कितना भी क्यूं ना हो शक्तिशाली,.
पुण्य के हाथों ही अंत को पाता है..!!