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Shailaja Bhattad

Abstract Inspirational

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Shailaja Bhattad

Abstract Inspirational

विद्यार्थी जीवन

विद्यार्थी जीवन

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अ, आ, इ , ई से शुरुआत हुई।

 नए शब्दों से पहचान हुई।

अब तो हर पन्ना आंखों से गुजरता है।

विद्यार्थी जीवन की हर बात बखान करता है।

माटी से लिपट कर जीते थे। 

हर दिन नई बुलंदी पर होते थे ।

हर रोज ही तो मशाल जलती थी। 

हर रोज नए उद्घोष से आंखें खुलती थी।

सच्चाई का ही तो सादगी भरा साथ था ।

रंग-बिरंगी पतंगों का आसमान था।

फैसलों से फासले नहीं बनते थे।

कच्चे धागे सिर्फ मजबूत बनते थे।

रोज ही मरम्मत होती थी।

रोज ही किस्मत संवरती थी।

हर रोज खयालों की मस्ती थी। 

हर रोज ही तो बहार होती थी।

अब जिंदगी के कई उसूल हैं। 

पहले समझना, फिर संभलना मशहूर है।

हर कदम फूंक-फूंक कर चलना ही कबूल है।


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