विदाई
विदाई
एक नन्ही परी मेरे जीवन में आई,
बरसों पहले मेरे जीवन की खुशियां सजाईं,
बरसों जिसके साथ गुजारे पल वो खुशियों भरे,
कभी हंसते कभी रोते मेरे आंगन में होके खड़े,
कब मेरी बिटिया रानी इतनी बड़ी हो गई,
छोड़कर मेरा आंगन साजन के घर को वो चली,
हाथ छुड़ाकर दामन बचाकर आंखों में आंसू भर कर,
सिसक सिसक कर कह रही नहीं जाना पापा तुमको छोड़कर,
मुझसे कहती है क्या मैं इतनी बोझिल हूं मुझे जाना पड़ेगा,
उसको कैसे समझाऊं रीति दुनिया की है जिसको निभाना पड़ेगा,
दिल में गम का सागर है उमड़ा आंखों में आंसू को छुपाए,
बिटिया को तसल्ली देकर बाबुल मन ही मन रोए जाए,
करके विदा अपनी गुड़िया को आंसू रोक ना पाए,
घर आकर उसके कमरे में आंसू दिए बहाए,
आज मेरी नन्ही सी गुड़िया चली गई मुझे बिसराय,
काश कभी ऐसा हो जाए ये रीत दुनिया से जाए।