क्योंकि लड़के रोते नहीं हैं
क्योंकि लड़के रोते नहीं हैं
म
घर परिवार में सुख शांति रहे,
परेशानियां स्वयं उठाता हूँ।
कितनी भी मुश्किलें क्यों न हो,
पर मैं नहीं कभी घबराता हूँ।
अपना कोई मेरा आहत ना हो,
इसलिए चट्टानों सा डट जाता हूँ।
समाज व परिवार के प्रति अपने,
दायित्वों को बखूबी निभाता हूँ।
जिम्मेवारियों को निभाने के लिए,
ख्वाहिशें मन में अपनी दबाता हूँ।
दूजे की बेटी को घर अपने लाकर,
निज सम्मान दिलाने में जुट जाता हूँ।
सामंजस्य घर के सदस्यों में बना रहे,
हर कोशिश को सम्भव बनाता हूँ।
दिल अपना टूटा हो कितना ही,
पर आँखों में आँसू नहीं लाता हूँ।
क्योंकि लड़के रोते नहीं,इसलिए
अपनी हृदय वेदना पी जाता हूँ।