पसंद
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ज़िंदगी को चेहरे पर मेरे मुस्कुराहट पसंद नहीं
दिल की चौखट पे हो कोई आहट पसंद नहीं
इंतज़ार हो किसी का बड़ी बेसब्री से जब भी
ऐ हवा दरवाजे पर तेरी सरसराहट पसंद नहीं
छाया हो अंधेरा जब मेरे करीबियों के घऱ में
मुझे मेरे घऱ पर रोशनी जगमगाहट पसंद नहीं
मुल्क की बर्बादी पे भी भूख़ तेरी बाकी भला
चंद पैसों के लिए तेरी छटपटाहट पसंद नहीं।