मासूम चिड़िया
मासूम चिड़िया
डरी, सहमी
ऊँचे माले पर लटकी,
जैसे उलझी हो कोई पतंग
ऊँचे पेड़ों की शाखों में,
हवा चलने पर फड़फड़ाती
लेकिन बेकार हर कोशिश
ख़ुश करने की ख़ुमारी
हर किसी को
वज़ूद उसका गुम है कहीं
कठपुतली सी नाचती है,
इशारों पर
कल निशाना बनाया था
गुलेल से इक चिड़िया को
तड़प कर गिर गयी जमीं पर
लोगों ने निशानेबाज़ कहा उसे,
सराहा उसे
तालियां गूंजती रहीं तब तक
जब तक दम नहीं तोड़ दिया
उस मासूम चिड़िया ने...
