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Vihaan Srivastava

Classics

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Vihaan Srivastava

Classics

वन्दना हे मां

वन्दना हे मां

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हे माँ तेरी छटा निराली,तू जीवन का सार

तुझसे छाती है खुशहाली,तुझसे है संसार।


हाथ जोड़ मै करूँ माँ विनती,सुन ले तरूण पुकार

भक्ति भाव व प्रेम साधना,का दे दे भंडार।


पथ में मेरे पग न भटके,प्रगति बने प्रहार

निष्ठा व सहयोग धर्म हो, मानवता व्यवहार।


तू माता दुख हरने वाली, कर मेरा उद्धार

तुझसे छाती है खुशहाली ,तुझसे है संसार।


शिक्षा-दीक्षा में भी माता, तेरा हो उपकार

कला और साहित्य जगत को,सदा रहूँ स्वीकार।


ज्ञान,बुद्धि और कौशल को माँ, दे दे अपरमपार

अनुकम्पा तेरी मिलने से, कटते दुख अपार।


माता तुझसे आस लगा ली, दे दे मधुर बहार,

तुझसे छाती है खुशहाली,तुझसे है संसार।


मन का बैरी भाव मिटा दे, हो सबका सत्कार,

दुर्जन और कुटिल मनुज भी, माने सदाचार।


सदबुद्धि देना माँ सबको, नेकी बने विचार

गुण की ऊँजली खोज में सब, दोषो का करे शिकार।


समता को माँ देती लाली,न्यायपूर्ण हर बार

तुझसे ही छाती खुशहाली,तुझसे है संसार।


धन दौलत पैसे रूतबे का, हो न कोई खुमार

नर-नारी और वृद्धजनो संग, हो न दुराचार।


बच्चे मजदूरी में अब, जीवन न करे बेकार

सोच समझ सबमें देना माँ, श्रेष्ठ रहे साकार।


तूने दूर करी बदहाली, तेरी जयजयकार

तुझसे ही छाती खुशहाली, तुझसे है संसार।


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