पीढ़ी
पीढ़ी
ये चित्र द्योतक है हमारी संस्कृति, परंपरा का
पाश्चात्य सभ्यता का रंग हम पर नहीं चढ़ा।
पिता के जीवन का संघर्ष ये झुर्रियां बताती
कांपते हाथों को, अब बेटे की उंगलियां थामती।
बुजुर्गों के मान-सम्मान से बड़ी न कोई पूजा
मात-पिता सा भगवान, जग में न कोई दूजा।
कुछ भी नहीं बदला है, कुछ भी नहीं बदलेगा
अतीत को वर्तमान थाम के आगे बढ़ जाएगा।
बुजुर्गों का सम्मान करना भारत की संस्कृति है
इनको उचित स्थान देना भी हमारी देशभक्ति है।