त्रिलोकेश सदाशिव
त्रिलोकेश सदाशिव
ओ त्रिशूलधारी धरे जटामंडल गंगा
हाथ डमरू गले अहिराज विराजमान
तुम्हारा भांग निवाला कंठ गरल संभाला
सर्वांगश्रृंगार भस्म सेमस्तक चंद्र शोभायमान
शरणार्थी के पालक पापियों के संहारक
तुम महाकाल...है वास तुम्हारा शमशान
हे प्रभु!तुम ही आदि होतुम ही हो अंत
ओ विश्वपंच के सृष्टा तुम करते कल्याण
तुम त्याग तपस्या करुणा की मूरत
ओ पंचदेव तुम्हे भाए ना अभिमान
अति आलौकिक छविअर्धनारीश्वर की
तुम जगत्व्यापी हो तुम कृपानिधान
तुम दिव्य सनातन हो सर्वाधीश्वर
जिनके निर्मल नेत्र अति देदीप्यमान
ओ भोले कैलासी तुम नन्दी अधिपति
हम तिमिर रूप तुम सूर्य सम प्रकाशमान
हे रूद्र!तुम महेश्वर हो तुम त्रिपुरारी
ये पूर्ण जगत लगाए तुम में ध्यान
सतो रजो तमोगुण समाहित तुम्ही में
तुम कल्याणमयी हो तुम सर्वविद्यमान
हे भोले भंडारी सबकी अर्ज सुनो
ओ दुःखहर्ता तुम सबसे बलवान
बरसाओ कृपा उद्धार हो जगत का
ओ करुणामय तुम ही सर्वशक्तिमान
हे शिव !कौन बूझ पाया तत्व तुम्हारे
कैसे करें उस महिमा का गुणगान
हम दुर्बल मूढ़ निपट अज्ञानी हैं
करें चरणवन्दन बन तुम्हारी संतान।