कोई ऐसा नहीं
कोई ऐसा नहीं
ऐसा कोई नही जिसे दर्द ना मिला हो जग में
कोई उसको हँसकर सह लेता है तो कोई आँसू बहाकर,
ऐसा कोई नही जिसके हिस्से में प्यार ना आया हो जग में,
कोई इस प्यार में जिंदगी संवार लेता है कोई उझाड लेता है,
ऐसा कोई नही जिसको कभी ठोकरे ना खानी पड़ी हो जग में,
कोई ठोकरे खाकर सबक सीख लेता है कोई फिर वो सबक भुला देता है,
ऐसा कोई नही जिसने कोई पाप ना किया हो जग में,
कोई उस पाप से तोबा कर गंगा में डुबकी लगा लेता कोई कभी सुधरता नही,
ऐसा कोई नही जिसके जीवन मे पतझड़ का मौसम ना आया हो,
कोई उस पतझड़ में भी बहारो सा जीवन जीते है कोई मुरझा जाता है,
हर किसी की है सोच अपनी अपनी हर कोई अपने हिसाब से जीता है,
कभी गम कभी खुशी जीवन की है ये रीत यह ही है जीवनधारा।
