विवेकानंद होता है..!
विवेकानंद होता है..!
यदि ना निकले निष्कर्ष तो विचारों में द्वंद्व होता है,
जिसके विवेक में भी आनंद छिपा हो, वो ही विवेकानंद होता है
बन गए सन्यासी वो, जीते जी वैराग पे चले,
रख कलेजा हाथ पर, देशप्रेम की आग में जले,
ओढ़कर रंग भगवा, भगवा की ही राग पे चले,
नित नया पथ तैयार कर, अपने पथ के भाग पे चले!
यदि हृदय के भाव पंक्ति से सवंदित हों, तो हर शब्द में छंद होता है,
जिसके विवेक में भी आनंद छिपा हो, वो ही विवेकानंद होता है!
परिभाषा राष्ट्रीयता की जिसने बदल कर रख डाली है,
धर्म की व्याख्या जिसने, कर्म के रंग में ढाली है,,
अपने विचारों से की जिसने, जीवन मूल्यों की रखवाली है,
सिद्धांतों को सुन जिसके, अंग्रेजों ने भी बजाई ताली है!
यदि ज्ञान में हो विवेक, तो संवादों में भी मकरंद होता है,
जिसके विवेक में भी आनंद छिपा हो, वो ही विवेकानंद होता है!
माँ भारती को ऐसे बेटे सदियों-सदियों में ही मिल पाते हैं,
जो माँ के आंचल के लिए जीते और उसी पे मर जाते हैं,
ऐसे युगपुरुष ही यूवाओं में सोई चेतना को जगाते हैं,
ऐसे विवेकानंद ही सनातन को अधिक सनातन कर जाते हैं!
विचारों के समर में शस्त्रों का हर द्वार बंद होता है,
जिसके विवेक में भी आनंद छिपा हो, वो ही विवेकानंद होता है!