ए सैनिक ,"जब तू शहीद होता है..!"
ए सैनिक ,"जब तू शहीद होता है..!"


क्या क्या लिखूं , तेरी शहादत पे ऐ- शहीद,
मेरे पास अल्फाजों की कमी बहुत है ,
तेरे बिन , मेरे देश में हिफाज़त की कमी बहुत है,
तू मेरे देश का एक रोशन चिराग है,
और तेरे बिन मेरे देश में , उजालों की कमी बहुत है।
जैसे रात के अंधेरों में , चांद का पहरा रहता है,
मेरे देश की सरहद पे, एक तेरा ही चेहरा रहता है,
जब तू सरहद पर होता है ,
तब इस घर में सिर्फ तेरी यादों का बसेरा रहता है,
तेरे ना होने पर ,
यहां हर शक्स अपने चेहरे को अश्कों से धोता है।
तू एक कर्मयोगी की भांति , अपने कर्म किए जा,
गर दुश्मन हो सामने तो, ईंट का जवाब पत्थर से दिए जा,
अगर बात वतन की हो, तो छोड़ कर फिक्र अपने जान की,
इस जहान के लिए , अपना सबकुछ निसार किए जा।
डरना मत कभी , बलिदान देने से ,
हर किसी के नसीब में, ऐसा सौभाग्य नहीं होता,
अरे , ये धरती मां भी गर्व करेंगी तुझ पर,
कि, मेरी माटी का लाल कभी कायर नहीं होता।
तुम अगर वीरगति को प्राप्त हुए,
तो भी इसमें तुम्हार ही भला है,
खुश हो लेना अपने आप पर,
की ,तुम्हे धरती मां का आंचल मिला है,
चैन की नींद और वर्षों का आराम मिला है,
अरे, तुम्हे तो धरती मां की गोद का सम्मान मिला है।
जब तू शहीद होता है न ,ऐ - सैनिक,
मेरे देश का बच्चा - बच्चा भी रोता है,
खो दिया दो मांओं ने आपना लाल,
इसका अहसास हर चेहरे पर होता है,
आज अपनी कविता से , तुझे बारम्बार प्रणाम करती हूं,
ऐ - सैनिक, जब तू शहीद होता है,
जब तू शहीद होता है...!