युवराज राम से भगवान राम
युवराज राम से भगवान राम
सब कुछ छोड़ कर चले थे।
एक वचन निभाने के लिए,
वो समस्त वैभव छोड़ कर चले थे।।
आदर्शों की नई परिभाषा रखने,
वो, सबके नेत्रों में अश्रु छोड़ कर चले थे।
आज युवराज राम, भगवान राम बनने चले थे।।
संग सीता और अनुज लक्ष्मण के,
कांटों भरा सफर तय करने चले थे।
आज श्री राम वनवास को चले थे।।
हर रिश्ते-नातों को छोड़ कर,
वे वनवासी बन चले थे।
आज युवराज राम, भगवान राम बनने चले थे।।
देखकर दृश्य अयोध्या का,
आंखों में अश्रु भर कर चले थे।
नियती के इस खेल में,
स्वयं की खोज में चले थे।।
अपने संस्कारों का पालन करने,
आज युवराज राम, भगवान राम बनने चले थे।।
समस्त संसार को नया संदेश देने चले थे,
सूर्यवंशीयों के सूर्य को और तेजस्वी बनाने।
राम अज्ञातवास को चले थे,
समर्पण का नया पाठ पढ़ाने।।
एक आदेश पर घर छोड़ चले थे,
आज युवराज राम, भगवान राम बनने चले थे।।
दे गए संदेश वो मानवता का,
सिखा गए सलिका जीने का,
पुरुषार्थ की नई परिभाषा सिखा गए।
हर हालातों से लड़ना सिखा गए,
आज युवराज राम, भगवान राम बनकर आ गए।।
दुख की काली घटायें छ्टी, खुशियों का सूर्योदय हो गया।
आदर्शों से पूर्ण, मानवता का पुनः नवोदय हो गया।।
दीप जलाकर निज भावों की अभिव्यक्ति हो गई।
आज देखकर श्रीराम को अयोध्या में पूर्ण मेरी भक्ति हो गई।।
खुश हैं, आज हर कोई अपने भाग्य पर।
सहस्रो दीप जलाए हैं, आज रघुनाथ के आगमन पर।।
आज अयोध्या में फिर वही उमंग, उल्लास और उत्साह है छाया।
कि, आज अयोध्या ने श्रीराम को पुनः है पाया।।
खुशी से आज सबने दिवाली है मनाया।
खुशी के बादल छा गए,
भगवान राम अयोध्या आ गए।।