STORYMIRROR

Kawaljeet GILL

Abstract Classics

4  

Kawaljeet GILL

Abstract Classics

किसी कोने में आज भी

किसी कोने में आज भी

1 min
171

मेरे घर के किसी कोने में आज भी 

तेरी यादों का गुलदस्ता है,

तू आकर बैठता था जिस सोफे पर

उसपर तेरी यादों की तस्वीर है,

वो खिड़की जिसके पास खड़ा होकर

तू मुझको निहारता था,


वो खिड़की असज भी तुझको याद 

करती है हमसे सवाल करती है,

वो दीवारे जिनको कभी तूने छूआ था

वो तेरे हाथों को पहचानती है,


जब भी हम तन्हा होते है वो हमसे

तेरे लिए कई सवाल करती है,

मेरे दिल पर तो तेरा कब्ज़ा था ही

मेरे घर का साजो समान भी तुझको

पहचानता है,


जिंदगी की राहों पर चलते चलते गर

तुम कभी आओगे तो,

इनको तुम इनके सवालो का जवाब 

खुद ही दे देना,


इनके किसी सवाल का जवाब हमारे पास 

तो नहीं है ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract