विचलित मन
विचलित मन
ये मन बहुत चंचल है ,
हर पल बदलता रहता है ,
नई नई चीजों पर ठनकता है ,
और न मिलने पर विचलित
हो जाता है।
इस चंचल मन को जिसने ,
कर लिया अपने वश में,
वह तो तर जाता है ,इस जग में,
वरना विचलित मन लिए ,
तिरिस्कृत सा घूमता है ,
विचलित मन वाले अक्सर ,
कर जाते हैं कुछ गड़बड़ ,
वह अपनी भलाई के चक्कर में ,
ना जाने कितनों को विचलित
कर जाते हैं ।।