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Vinod Kumar Mishra

Abstract

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Vinod Kumar Mishra

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वही हैंं भाग्य विधाता

वही हैंं भाग्य विधाता

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मैं नन्हा सा पंछी जग का

ब्रह्मांड हमारी माता

जिनकी कोख में सृजन हुआ

वही हैं भाग्य विधाता।


धरती पर जब आँख खुली तब

पाया सम्मुख निज माता

कष्ट भुला निज बहा दी ममता

वही हैंं भाग्य विधाता।


निज अमृत सा दुग्धपान करा

जिसने मुझको पाला

लोरी-थपकी से सुलाया

वही हैं भाग्य विधाता।


धूरि भरी जब देह हमारी

निज आँचल से बुहारा

स्वर्ग सदृश वह गोदी जिनकी

वही हैं भाग्य विधाता।


बाँह पकड़कर किया खड़ा, फिर

चलना मुझे सिखाया

जिसने पहला पाठ पढ़ाया

वही हैं भाग्य विधाता।


नौसिखिया त्रुटि कर देता

फिर भी माँ ने दुलारा

जिसकी ममता भूल न पाता

वही हैं भाग्य विधाता।


भुला सकेगा जग यह कैसे

उनकी गौरव गाथा

जिसकी कोख में सृजन हुआ

वही हैं भाग्य विधाता।


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