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Kusum Lakhera

Classics Inspirational

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Kusum Lakhera

Classics Inspirational

वह कविता लिखती है

वह कविता लिखती है

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जब आँखें नहीं आत्मा रोती है

तब वह कविता लिखती है !

जब वह बारिश से नहीं आँसुओं से ..

दामन भिगोती है !


तब वह कविता लिखती है

जब वह किसी कारण बहुत खुश होती है !

हंसती है मुस्कुराती है ......

तब वह कविता लिखती है !

जब वह समाज की विषमता से परेशान होती है !


तब वह कविता लिखती है !!

जब वह दुःख के पहाड़ को ढोती है !

तब वह दर्द को शब्दों का जामा पहनाकर..

धीरे धीरे अर्थ की गहराई में जाकर ...

लक्षणा और व्यंजना शक्ति का सहारा लेती है !


तब वह कविता लिखती है ...

नव रसों, नंव भावों को जब वह लय में पिरोती है !

तब वह कविता लिखती है !

वह पाती है कविता दर्द में दवा बन जाती है


और संसार की कोई भी समस्या का निदान ..

बस कविताएं ही होती है !

जब असंभव सताने लगे ,

जब अंधेरा डराने लगे...

तब कविता ही चिराग़ जलाती है !


तब कविता ही हौंसला बढ़ाती हैं ..

सच कहा है किसी ने ये कविता ये गीत किसी 

दुआ से कम नहीं होते ...

अगर कविता न होती तो इतने रहमोकरम नहीं होते


विश्व कविता दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं

पूरित हो सभी पाठक गण व कवियों की मनोवांछित कामनाएं।


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