वह कविता लिखती है
वह कविता लिखती है
जब आँखें नहीं आत्मा रोती है
तब वह कविता लिखती है !
जब वह बारिश से नहीं आँसुओं से ..
दामन भिगोती है !
तब वह कविता लिखती है
जब वह किसी कारण बहुत खुश होती है !
हंसती है मुस्कुराती है ......
तब वह कविता लिखती है !
जब वह समाज की विषमता से परेशान होती है !
तब वह कविता लिखती है !!
जब वह दुःख के पहाड़ को ढोती है !
तब वह दर्द को शब्दों का जामा पहनाकर..
धीरे धीरे अर्थ की गहराई में जाकर ...
लक्षणा और व्यंजना शक्ति का सहारा लेती है !
तब वह कविता लिखती है ...
नव रसों, नंव भावों को जब वह लय में पिरोती है !
तब वह कविता लिखती है !
वह पाती है कविता दर्द में दवा बन जाती है
और संसार की कोई भी समस्या का निदान ..
बस कविताएं ही होती है !
जब असंभव सताने लगे ,
जब अंधेरा डराने लगे...
तब कविता ही चिराग़ जलाती है !
तब कविता ही हौंसला बढ़ाती हैं ..
सच कहा है किसी ने ये कविता ये गीत किसी
दुआ से कम नहीं होते ...
अगर कविता न होती तो इतने रहमोकरम नहीं होते
विश्व कविता दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
पूरित हो सभी पाठक गण व कवियों की मनोवांछित कामनाएं।
