वह आए हैं
वह आए हैं
फलक के चाँद तारों से कह दो यूँ ऐसे इतरायें ना कि वह
आए हैं।
उनकी चाँदनी की अब मुझको कोई जरूरत नहीं कि वह आये हैं।।1।।
बड़ा गुरूर था तुझको ऐ कमर अपनें मेहताब-ऐ-रोशनी पर।
पर आके देख जलवा ए हुस्न मेरे महबूब का तू कि वह आए हैं।।2।।
तुझमें है दाग किस वजह से ऐ चाँद ये तो मै भी जानता नहीं।
पर आके देख ले बेदाग कुदरत अपने खुदा की कि वह
आए हैं।।3।।
फरिश्ते भी जिसे दुआऐं में मागें खुदा से अपनी इबादत में।
तू भी दीदार कर ले उस खुदा की कायनात का कि वह आए हैं।।4।।
आने से उसके दिवानगी आती है चरागों की शर्म्मे रोशनी
मे।
परवानें कह रहें हैं शम्मा से जल जाने दो अब तो कि वह
आए हैं।।5।।
जल्लादों से कह दो रुक जायें फकत कुछ लम्हों के लिये वो सब।
दीवाना देख ले इक बार उनको पल भर के लिए कि वह
आए हैं।।6।।