वेदांती
वेदांती
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ज़ब भारी भीड़ इकठ्ठा हो,
और कोई बड़ा सा जुलुस निकले !
ना जाने कितने असंतुष्ट लोगों के,
मन की भावनाओं के खुलुस निकले !
बड़े छोटे की करें कद्र बराबर,
यह समव्यवहार की भान्ति होगी !
सद्भावना शांति की है जननी,
देखना अब एक नई क्रांति होगी!
निर्मल प्यार आपस में बढ़ाना चाहिए,
फिर कैसे किसी की सोच वेदांती होगी !
एक बात सबको है माननी,
देखना अब चहुँओर एक शांति होगी !