उत्कर्ष
उत्कर्ष
जीवन का उत्कर्ष कहां है
मानवता का धर्म जहां है
कौन बली है इस जग में
जो समा गया है नग में।।
विधि की सृष्टि महामाया है
इससे बचा कौन है जग में
प्रेम भरी दुनिया है फिर भी
मानव पड़ा हुआ है नग में।।
जीवन का उत्कर्ष कहां है
मानवता का धर्म जहां है
कौन बली है इस जग में
जो समा गया है नग में।।
विधि की सृष्टि महामाया है
इससे बचा कौन है जग में
प्रेम भरी दुनिया है फिर भी
मानव पड़ा हुआ है नग में।।