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AKSHAT YAGNIC

Romance

4  

AKSHAT YAGNIC

Romance

उसकी आंखों में मैंने

उसकी आंखों में मैंने

1 min
328


उसकी आंखों में मैंने

अपना संसार बसते देखा है

उसकी आंखों में मैंने

खुद को हंसते देखा है 


वह केवल दो आंखें नहीं हैं

वह है मेरे जीवन का आधार 

वह केवल दो मोती नहीं हैं

वह तो है इस संसार का सारा प्यार


उन्हीं आंखों में मैं डूब जाता हूं 

और डूब कर भी उभर आता हूं

मुझे खुद से मिलाती है वह

आंखें अपना परिचय देती है वह आंखें। 


उन्हीं आंखों को मैं रहता हूं

निहारता उन्हीं आंखों से

प्यार का रस हूं मैं पीता 

आईने की मुझे जरूरत नहीं 

क्योंकि मेरे पास है वह आंखें।


वह दो अनमोल रत्न ले जाएंगे मुझे

जीवन के अंतिम छोर तक 

जीवन के बाद भी साथ रहेंगे  

मेरी यात्रा के अंतिम मोड़ तक 

उसकी वह दो आंखें जिनमें

मैंने अपना संसार बसते देखा है।


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