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AKSHAT YAGNIC

Romance

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AKSHAT YAGNIC

Romance

उसकी आंखों में मैंने

उसकी आंखों में मैंने

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उसकी आंखों में मैंने

अपना संसार बसते देखा है

उसकी आंखों में मैंने

खुद को हंसते देखा है 


वह केवल दो आंखें नहीं हैं

वह है मेरे जीवन का आधार 

वह केवल दो मोती नहीं हैं

वह तो है इस संसार का सारा प्यार


उन्हीं आंखों में मैं डूब जाता हूं 

और डूब कर भी उभर आता हूं

मुझे खुद से मिलाती है वह

आंखें अपना परिचय देती है वह आंखें। 


उन्हीं आंखों को मैं रहता हूं

निहारता उन्हीं आंखों से

प्यार का रस हूं मैं पीता 

आईने की मुझे जरूरत नहीं 

क्योंकि मेरे पास है वह आंखें।


वह दो अनमोल रत्न ले जाएंगे मुझे

जीवन के अंतिम छोर तक 

जीवन के बाद भी साथ रहेंगे  

मेरी यात्रा के अंतिम मोड़ तक 

उसकी वह दो आंखें जिनमें

मैंने अपना संसार बसते देखा है।


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