STORYMIRROR

अपर्णा झा

Romance

3  

अपर्णा झा

Romance

उसका होना

उसका होना

1 min
623


अल्हड़-मद-मस्त

यू लहराती-मुस्काती

ना कभी खुद की फिक्र

ना गमजदा रहना

ना कोई अफसुर्दगी की शिकायत

ना कोई उम्मीद ओ ख्वाहिश की तमन्ना

किसी से...

उसका होना जैसे अलामत हो

फ़स्ल बसन्त-बहर का...

जैसे खुशी होली -दीवाली त्योहार का

जैसे चांदनी भी मंद मंद मुस्काती हो हरदम

और खयालों में...

अपने चांद को बुलाती हो हरदम

मुक्कमल सा हुआ लगता था

उसका हर बात में होना

एक परवाज़ ही तो था

सपनों ने था संजोया हुआ

जिंदगी ने मजाक अच्छा किया

पर ही कतर डाले.

दीवानी थी मस्तानी थी

दुनिया की नज़रों में दुनियावी थी

कौन सोचता उसकी गहराई को

कौन समझता उसके परछाई को

वो तो संग दुनिया के थी चल रही

लोगों ने समझा

ग़मों तल्खियों से टूट जाएगी

कोई क्या जाने ...

वो इस दुनिया की है ही नही

बावली बंजारन फ़कीरी में है

रमी हुई.

लाफानी सी हुई हुई.


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance