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मेरा सपना

मेरा सपना

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मैं एक नारी

सजग, सुदृढ़, खुद के

सोच पर जीने वाली

सपनों को खुद के साकार करूँ

समता का सबसे अधिकार रखूं

सही-गलत के निर्णय

की क्षमता मुझ में

अत्याचार हो मुझपर,ये

स्वीकार नही

नारी हूँ पर ,'अबला हूँ'

यह बर्दाश्त नहीं

माँ हूँ, बहन, बेटी, बहु

आदर की हक़दार हूँ

बन अभागन का जीवन

ये एहसान नहीं

मेरा सपना इतना लाचार

नहीं, माना समाज

मुझ ही से गढ़ा नही है

मेरी ही सोच से बना नहीं है

हैं ख़ामियाँ बहुत इसमें

विधवा बन हैं परतंत्र

अबला बन हैं घर बन्द

स्वतंत्रता है वेश्यालयों में

कौन पूछे परित्यक्ता

के रख वालों से,पर...

मैं शिक्षित, दुनिया देखी

समाज का हिस्सा हूँ

मैंने ठाना, मैंने माना

नारी तू सबला है, वामा है

तू नारायणी,अपने समाज की

तू रचयिता, भाग्यविधाता

तुझमें ताकत देखूं, तुझमें राहत देखूं

तेरी ख़ुशियों से हो त्योहार

यही मेरा सपना है

साकार होते हुए जिसे

मुझे देखना है और ख़ुशियों

की चीख लगा कर

ये कहना है...

'ये मेरा समाज है,नही

कोई वनवास है,अब ना कोई

क्षीण है और ना कोई शक्तिहीन

हर हाल में हैं सब एक साथ

पथ प्रशस्त है,देखो! बस

आगे ही बढ़ते जा रहा है

हां, ये मेरा समाज है

यही मेरा समाज है


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