उसी पुराने रेस्तरां में
उसी पुराने रेस्तरां में
कदम और किस्मत फिर ले आई
मुझे उसी पुराने रेस्तरां में आज
आज भी उसी मेज कुर्सी पे बैठी
वही पुरानी चीज़े ही मंगवाया था
दीवारें, मेज़, कुर्सी, चम्मच, कांटा, चाकू
सब के सब मुझसे लगे बतियाने
न मालूम कितनी बातें रोक रखीं थी
सिर्फ मुझे ही बताने को वो जाने।
बैरे ने जब लेकिन वो जलजीरा लाया
क़सम से हर घूंट में ज़िक्र तुम्हारा आया
चलते चलते कुल्फी पान खा तो ली मैंने
तुम भी स्वाद से खा ही लोगे सोच लिया मैंने
अब रेस्तरां जाना एक बहाना भर है मेरे लिये
कुछ तुम्हारी यादें हैं जो रेस्तरां से है जुड़े
वरना इतना खाने पीने का शौक नहीं रहा मुझे
किस्मत ले आती है कभी कभी उसी रेस्तरां में।