उस सुबह यूँ लगा
उस सुबह यूँ लगा
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उस रात की सुबह भी कुछ तो अजीब थी
था सकून चेहरे पर मगर आँखों में नींद थी
बेहया हो गए थे होंठ उस कयामत की रात
इक शोर था दिमाग में पर जुबान खामोश थी
सोये थे बो बेफिक्रे से हो के कुछ यु मेरी बाहों में
मीठी सी खुशबू घुली थी उस दिन फिजाओ में
ना जाने कैसी निखार आई थी खूबसूरती उसकी
सोते यु लगा के वो किसी परी से काम ना थी
दिल ने तो चाहा सोने दूँ यु ही उसे बेपरबाह
मगर चिड़ियों और भबरो ने मेरी सुनी कहाँ
कयामत से पहले ही इक कयामत सी गुजरी
उसने यूँ बदली करबट के जुल्फे मेरे चेहरे पे थी
में भी चुप बो भी चुप बस धड़कनो का शोर था
उसकी आँखों में शर्म और मेरे दिल में चोर था
बड़ी मुश्किल से समेटा खुद को उसने बाहों में
सिरहन सी थी जिस्म में और होंठो पे हंसी दबी थी
बड़ा मुश्किल हो गया था उनको रुखसत करना
हो के गुलाम रह गया था उनका मेरा जर्रा जर्रा
लाखों तूफ़ान थे दोनों ही के दिलों में उमड़े हुए
आँखें डबडबा गई दोनों की और बो मेरी बाहों में थी।