उस गरीब का क्या
उस गरीब का क्या
जैसे ही करोना
महामारी फैलने की ख़बरें
आनी शुरू हुई
लॉकडाउन और फिर कर्फ्यू
अमीरों ने अपने घरों में जैसे तैसे
तीन महीने का राशन भर लिया
सब्जी फ्रूट भी कुछ दिनों के लिए जमा कर लिया
कपड़ा लत्ता की तो पहले ही बाढ़ थी।
उस गरीब का क्या
न घर में राशन
न सब्जी न फ्रूट
कपड़े की कौन सोचे
दो जून की रोटी भी नहीं
ताज़ा खोदना ताज़ा पीना
दिहाड़ी करके आए
रुखा सूखा कर लिया
फैक्टरीज़ बंद
निर्माण कार्य बंद
दिहाड़ी का कोई साधन नहीं
न बैंक में पैसे
कभी जन धन योजना के अंतर्गत
सरकार ने दो हज़ार डाले थे अकाउंट में।
छोटी बेटी बीमार पड़ी
सारे खत्म हो गए
यानी बैंक खाता शून्य
कहां जाए कहां खाए।
कहने को सरकार व
सामाजिक संस्थाएं सामान बांट रही है
उससे जीवन कितने दिन चलेगा।
न जाने कब यह महामारी जाएगी
न जाने गाड़ी कब पटरी पर
आएगी।
