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Rashmi Sinha

Romance

4  

Rashmi Sinha

Romance

उपहार के आंसू

उपहार के आंसू

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तुम मिले तो, खुशी अपार हुई,

ये ग़म के नहीं, खुशी के आंसू हैं,

स्वीकार करो उपहार के आंसू हैं।

हृदय स्थल के द्वार से निकले,

मधु सी मिठास लिए आंसू,

विश्रब्ध बढ़ रहा मुक्त हो,

हृदय विवर में कैद रहा,

ज्योत्स्ना सी यादें शीतल,

परिधान बीच बचपन सुकुमार,

निकला हो ज्यों नन्हा रवि कुमार,

सूरजमुखी सी घूम देखी खुशियां,

स्मृति की आभा बिछ सी गई ,

शिशु चित्रकार मानस पटल पर

कोमलता से चित्रित करता,

श्रुतियों में हौले-हौले से,

मधुर संगीत दे रहा,

उन्मुक्त हिरन सा किशोर मन,

अनंत गगन को छूने की,

चाहत ले उड़ता पंछी सा मन,

तूने असीम झंकार झंकृत कर,

सुमधुर रागिनी हृदय में बजा दी,

कुछ विस्मृत यादें रहीं मानस पर,

हृदय पटल पर आज छाई,

वही आंसू की बूंदें बन झरने आयी,

मोती बन चमकी मेरे मन की निधि,

इसे स्मृतियों में पिरो लेना,

मानो सीपी के रत्न स्वतः

माला में गुथने आयीं खुशियां,

ये ग़म के नहीं खुशी के आंसू हैं,

स्वीकार करो उपहार के आंसू हैं।



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