पलकों की सौगंध
पलकों की सौगंध
झुकी झुकी सी पलकों की सौगंध तुझे,
तेरी नैनों में प्रीत का मंजर देखा है मैंने।
उन नैनोंं में अपने दिल को खोया हैै मैंने,
बड़़े ही मासुुमियत से कैद किया था तूने,
प्रीत के मधुर तरंंगों को आवाज दे देे,
तेरी प्रीत भरी गीतों का इंतजार है मुझे,
झुकी झुकी सी पलकों की सौगंध तुझे,
तेरी नैनों में प्रीत का मंजर देखा है मैंने।
उन मदमाती नैैनोंं से उठती पलकेें तेरी,
नैनों में कौतूहल उमड़ते देखा है मैैंनेे,
हौले - हौले गिरते पलकों को थाम लूंं,
उन पलकों की मुझे घनेरी छांंव देे दे,
तेरे शीतल छांव का इंतजार है मुझे ,
झुकी झुकी पलकों की सौगंध है तुझे,
तेरे नैनों में प्रीत का मंजर देखा है मैंने।
भीगी पलकों के कोनों से बहती तेेरी,
प्रीतगंग धारा की चमक देेेेखी है मैैंने,
बादलों से झांंकती नन्ही बिजली हो जैसेे,
तेरे नैनों के चमक में खोया मेेरा मन देे देे,
तेरी प्रीत भरी निगाहों का इंतजार है मुझे ,
झुकी झुकी सी पलकों की सौगंध तुझे,
तेरे नैनों में प्रीत का मंजर देखा है मैंने।
काली मेघ माला सी पलकों में तेरी,
अप्रतिम सौन्दर्य बिखरा देखा है मैंने,
चंचला नैैनों में पावन सपने सजाया तूूूने,
तेरे सपनों को जीने का अधिकार देे देे,
प्रीत की मृृृृदुल हिलोरें का इंतजार है मुझे ,
झुकी झुकी सी पलकों की सौगंध तुझे,
तेरे नैनों में प्रीत का मंजर देखा है मैंने।