कदम
कदम
किस ओर हमारे कदम जाते हैं,
उस कदम पर निर्भर है राहें।
कुछ हम सही कदम रखते,
कुछ हमारे कदम डगमगाते,
सपनों के हम महल बनाते,
पर हमारे शिथिल कदम बढ़ते,
दूसरों के सहारे जो हम चलते,
आत्मविश्वास जो नहीं ला पाते,
ऐसे में हमें कैसे मिले राहें,
किस ओर हमारे कदम जाते हैं,
उस कदम पर निर्भर है राहें।
आंधी से भरी राहों पर हमारे,
मजबूत कदम चल पड़ते हैं,
बिना थके, बिना रुके कदम,
आत्मविश्वास से बढ़ जाते हैं,
कुछ कांटे, फूलों वाली राहें,
हमें मंजिल तक पहुंचाते हैं,
किस ओर हमारे कदम जाते हैं,
उस कदम पर निर्भर है राहें।
दूर से राहें हमें दिखती है,
पास आने पर नहीं होती है,
अपनी राहों पर अकेले ही हमें,
कदम रखना होता है,
अकेली सी पर हिम्मत से
मजबूत कदम रखना जो,
मंजिल तक हमें पहुंचते हैं,
किस ओर हमारे कदम जाते हैं,
उस कदम पर निर्भर है राहें।