धूप सुहानी
धूप सुहानी
धूप सुहानी आई आई चमकीली धूप आई,
छाई छाई शीत ऋतु की खिलि खिलि धूप छाई।
लम्बी काली रात बीती अब तो सुबह आई,
शीत शिशिर ऋतु की चुभन सी तेरी यादें छाई,
कुछ तो बातें हैं कि दर्द से मेरी नैना भर आई,
धूप सुहानी आई आई चमकीली धूप आई।
शीत की बूंदों को चुन चुन धूप बेचारी मुरझाई,
खुद चुभन लिए मुझे अपनी धवल चुनरी ओढ़ाई,
लागे अब वसुंधरा अम्बर की मिलन बेला आई,
धूप सुहानी आई आई चमकीली धूप आई।
मेरी अश्रु नीर से मिल शीत में चुभन बढ़ आई,
भीगी वसुधा छटपटाती पर तेरे आने की सूचना,
उम्मीद की किरणें लम्बी अंधकार चीर आई,
धूप सुहानी आई आई चमकीली धूप आई।
कलियां खिली, बहारें झूमे, मन मयूर बन नाचें,
पग-पग पर तेरे बिछाई सूरज किरणें सुहानी,
ये गुदगुदी धूप मचलती तेरी इंतजार लिए आई,
धूप सुहानी आई आई चमकीली धूप आई,
छाई छाई शीत ऋतु की खिलि खिलि धूप छाई।