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DHANSHRI KABRA

Inspirational

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DHANSHRI KABRA

Inspirational

उम्मीदों भरा आसमां!!

उम्मीदों भरा आसमां!!

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अरसे से बस अपने आप में गुम थी,

संपन्न जीवन की तलाश में जुटी थी,

सफलता की अंधी सी तेज दौड़ में शामिल भी थी,

न थमती परेशानियों की रफ्तार में घिरी थी,

दुनिया के झमेलों में अटकी पड़ी थी,

जमीं की हार-जीत की हसरतों में लुप्त पड़ी थी,

आशा-निराशा के बवंडर में फँसी थी,

गुजरी यादों को दोबारा जीने की चाह में सहमी सी थी,

हानि-लाभ की अलबेली राहों में चल पड़ी थी,


इन्हीं रास्तों को ढूंढती निगाहों ने -

एक लम्हा उस नभ को निहारा,

पल भर में अटकी पड़ी जिंदगी को

ख्वाहिशों का मानो तराना मिल गया,

खुले आसमां को देख एक रोज पंछी की तरह

उड़ पाने का जैसे जज्बा मिल गया,

मेहनत कर हौसलों से खुद को अपने आप को

मिलाने का फसाना मिल गया,


उस आकाश को छूने की चाहत

से

फिर मेहनत कर खड़े होने का बहाना मिल गया,

सवेरे से शाम तक की रंगीन यात्रा ने आकाश के उस 

जीवन के उभरते-ढलते पहलुओं का अर्थ बता दिया,

नीले रंग ने इसके पानी से मित्रता कर

पारदर्शिता का महत्व चुटकी में सुलझा दिया,

चलते बादलों ने इसके निश्चलता से हमें

पानी के बूंदों की बहार से भिगो कर

उदारता का मतलब भी सीखा दिया,


उड़ते पंछियों को हवा का सहारा दे

इसने अनजाने में ही सपनों को

नई दिशा देने का काम कर दिया,

ढलते सूरज से मिले अंधेरे को भी इसने

सुकून की सफेद चादर में बदल सर्गमी आशियाना भी दिया,

तारीफ में जो कहे कम है तोहफे में

उस निल ने हमें जो कुछ दिया!!!

शुक्रगुजार रहे उतने कम है इस जमीं के

जिसने हमें उस गगन को देखने का मौका जो दिया!!!


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