जिंदगी के झूले पर
जिंदगी के झूले पर
हर किसी का अपनाही अफसाना है,
यहां पर उतार-चढ़ाव का एवज़ी आना जाना है,
ऊपर उठते ही ख्वाबों की ताबीर का इंतजार होता है,
उच्चाई को छूते ही ऊपर ख्वाबों का तराना मिल सा जाता है,
उसी उच्चाई नीचे देखे तो
अपनी ही काबिलियत पर विस्मित हो जाना है,
उसी समय आनंद की असली अनुभूति को
जीने का सच्चा अनुभव मिलता है,
यह तो प्रकृति का नियम है झुला है
ऊपर उठेगा तो चक्र पुरा करने नीचे जरूर उतरेगा,
इसी विचार से रोंगटे खडे हो
अजीबसी उलझनों के बवंडर का आभास होता है,
पर जिंदगी की इस प्रत्यावर्ती (alternator) का
तजुर्बा मिलना भी आवश्यक होता है,
इसी तजुर्बे से सीख ले अगली पारी में
निडर, निर्भीक होकर जीने का साहस आता है,
नीचे उतरने पर फिर चक्र आगे बढ़ाने
ऊपर उठना होगा यह विश्वास भी होता है,
फिर ऊपर उठते ही जीवन के सच्चे सुखो का हिस्सा
फिर चेतना के मूल रूप से मिलाता है।।