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DHANSHRI KABRA

Others

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DHANSHRI KABRA

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मैं झरना

मैं झरना

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मै झरना, जिसका सौंदर्य ही नहीं बल्कि वजूद भी है बहते रहना!

उसी तरह जैसे इंसान की किस्मत ही है जीवनधारा में अपने कर्मो संग बहते रहना!

मै झरना, जिसका नियती चक्र ही है गगन और धरा के बीच निश्चल हवा संग धार सा बहते रहना!

उसी तरह जैसे इंसान का अस्तित्व ही है कठिनाइयों के मार्ग से निकल मेहनत और लगन के संग बहते रहना!

मै झरना जिसका आयाम ही है किलबिलती गुनगुनाहट संग शांत धरा में जल बूंदों की मिठास घोलना!

उसी तरह जैसे इंसान का व्यक्तिमत्तव ही है महत्वाकांशी ख्वाबों संग निर्बोध सी जिंदगी में जीने का सही अंदाज घोलना!

मै झरना, जिसकी प्रकृति ही है चटानों से निकल अपने शुभ्र बहाव से मन में सुकून के रंग बिखेरना!

उसी तरह जैसे इंसान की जिंदगी ही है परेशानी भरे वक्त से निकल अपने बेहिसाब जुनून से हृदय में पुनः प्रयास के नए इरादे बिखेरना!

मै झरना, जिसका बहाव ही है लिखावट की इस काव्यमई दुनिया में अनगिनत सकारात्मक पहलूओ को जोड़ते रहना!

उसी तरह जैसे इंसान का जन्म ही है अथक परिश्रम से बेहिसाब घमासान मची रिहायशी में उमंग से होड़ को जितना!


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