STORYMIRROR

उम्मीद

उम्मीद

1 min
303


तुझसे बिछड़कर सहते रहे रंजो गम हम

तेरे लिए लड़ते रहे जिंदगी से हम

तमाम उम्र तेरी चाहत की उम्मीद पर

राहों में आँखे बिछाते रहे हमदम हम।


हमने किया था तुम पर ऐतबार

नजरों ने तुम्हारी मगर कर दिया हमें हलाल

मुक़र्रर कर दिया कातिलाना दिन हमारा

अब कहाँ ले जाये हम दिल का मलाल।


कोई दिलासा कोई इशारा तो दिया होता

जीने का कुछ सामान तो दिया होता

सिलवटों के निशान नहीं करते बयान

शिद्दत से हमें अगर गले लगा लिया होता।


कौनसी गर्दिश में खो गए हो तुम

किसकी दहशत में जी रहे हो तुम

सपनों की क्यारियों में फूल खिले होते

गर खुद्दारी से एक ठोस कदम उठाते तुम।


रोने से कुछ नहीं मिलता शजर यहाँ पर

लाचारी से तो बेहतर है मौत यहाँ पर

उम्मीद पर कायम है दुनिया की रस्में

तूफानी क़दमोंं को कौन रोक पाया है यहाँ पर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama