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Sanjay Aswal

Tragedy

4.7  

Sanjay Aswal

Tragedy

उम्मीद अभी बाकी है

उम्मीद अभी बाकी है

1 min
203


वो बेचारा आधी रात को

सब छोड़ छाड़ के आया है

धन दौलत पुरखों की धरती/ यादें 

कश्मीर में छोड़ के आया है।

काली रात में अजानों से

काफ़िरी के फरमानों से 

जिंदगी दांव पे लगा के आया है 

वो किसी तरह परिवारों संग

जान बचा के आया है।।

लूटी अस्मत चौराहों पे

अपनों के क़त्लोगारत को 

आंखो से देख के आया है

सुख चैन लुटा के वो अपना 

अस्तित्व बचाने आया है।

हैवानियत का नंगा नाच जब 

हो रहा था चौराहों पे,

गंगा जमुनी तहजीबों के चीथड़े 

लिपट रहे थे चिनारों पे,

तब अपने ही देश में मोमिनों के हाथों

लूट पिट के वो आया है 

झेलम के बहते पानी मे 

अपना लहू मिला के आया है।।

सब कुछ खोया उसने 

पहचान अभी भी है बाकी 

अपनी मिट्टी से जुड़ने की

अरमान अभी भी है बाकी।

यातनाएं लाख सहे कश्मीरी पंडितों ने मगर

दिल में देश के लिए जज्बा है बाकी 

राम, बुद्ध और नानक की धरती पर

इंसानियत को संजोए रखा है बाकी।।



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