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Minati Rath

Tragedy

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Minati Rath

Tragedy

उलझन

उलझन

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झूम रहा है सारा जहां

पर मन में एक अनबन सी है।

पूरे हो रहे सारे अरमां

फिर भी दिल में आहट सी है।


मंज़िल है इतने पास खड़ी

पर ये राहें गुम हैं क्यों ?

होठों पर छाई मुस्कुराहट है

फिर भी ये आंखें नम हैं क्यों ?


धड़कन की रफ़तार तेज हुइ

पर सूना सूना हर लम्हा है ।

चारों ओर मची शोर है

फिर भी ये राहें तन्हा हैं ।


सपने सारे सच हो गए

पर हर खुशी आज कम है क्यों ?

अपने सारे पास आ गए

फिर भी दिल में गम है क्यों ?



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