उदास राहें
उदास राहें
आँखों ने रोना छोड़ दिया,
आँसुओं ने बहना छोड़ दिया।
होंठों ने हँसना छोड़ दिया,
कलियों ने खिलना छोड़ दिया।
घिर आया तम अंंधेरा है,
आकाश में उसका घेरा है।
सूरज ने निकलना छोड़ दिया,
किरनों ने हँँसना छोड़ दिया।
हृदय में हलचल का मेला है,
मस्तक में यादों का डेरा है।
हृदय ने धड़कना छोड़ दिया,
सांसों ने आना रोक दिया।
ये कैसा संसार का मेला है,
यहाँ भीड़ में जीव अकेला।
अपनों ने रिश्ता तोड़ दिया,
तो हृदय ने तड़पना छोड़ दिया।
ये कैसा संसार का मेला है,
यहाँ भीड़ में जीव अकेला है।
अपनों ने रिश्ता तोड़ दिया,
तो हृदय ने तड़पना छोड़ दिया।
कोई न किसी को रोता है,
आँखों का कर्म यह होता है।
बारिश में नदियां उफनती हैं,
तो सागर से मिलने जाती हैं।