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Ashish Agrawal

Tragedy

5.0  

Ashish Agrawal

Tragedy

त्याग की मूरत

त्याग की मूरत

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कुछ माँगा नहीं, कुछ चाहा नहीं,

बदला बस खुद को, कि रिश्ता टूट ना जाये कहीं


आदतों को बदला, चाहतों को बदला,

भले मेरे अरमानों ने,अपनी करवट को बदला

समन्दर की एक बूंद बन जाऊं भले,

बस समन्दर में मेरा अस्तित्व तो रहे

धूल का एक कण भी मैं बन ना सकी,

मेरे त्याग की ओझल हो गई छवि


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