तूफान
तूफान
ऐ तूफान तेरे झोंके में यूँ तो एक शज़र गया.....
तुझे क्या पता कितने परिंदों का आशियां गया.....
आसां नहीं सफर इतने साहिलों तूफान-ए- जज्बात के..
वक्त बेवक्त आती है...........
किनारों पर लगी कश्तियाँ देखने.....
तूफानों से लड़ के भी जिनके मिलते थे कदमों के निशां..
जाने कहाँ गए वो आशियां-ए- मेहरबां..
उड़ते उस जिगर में जान अभी बाकी है..
ठहर जा बेखबर उसका झोंका एक और बाकी है...
बाहर का तूफान कश्तियाँ डुबाती है..
अहम की आँधी अंदर की हस्तियाँ डुबाती है..
उठती लहरों ने भी देखा है तेरा नजारा..
ऊंचाई से उठकर जमीन में मिलकर..
बनती है वह किसी के जीने का सहारा...