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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

तूने

तूने

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कैसा अजीब सा विधान बनाया है तूने

सब व्रत उपवास करती है तो सिर्फ़ औरत

फिर भी उसको जिंदा ही जलाया है तूने।

कभी तो वो दहेज के लिए मारी जाती है

तो कभी वो अपनों के द्वारा ही दागी जाती है

अजीब सी प्रकृति है इस पुरुष समाज की,

पत्नी,मां,बहिन के लिए उन्हें चाहिये लड़की

फ़िर गर्भ में ही क्यों मार दी लड़कियां तूने?

हर शुभ काम की जरूरत है सिर्फ़ औरत

हर देव के नाम आगे की पहचान है औरत,

फ़िर भी लड़कियों को नहीं पढ़ने दिया है तूने,

सोच वही है,हमारी रूढ़िवादी

लड़की की सीमा बस घर की वादी,

एक चाँद की चांदनी को बंद कर दिया है तूने

देश वही आगे बढ़ा है,जिंसने महिला को,

पुरुषों के बराबर दर्जा दिया है

धरती स्वर्ग बनेगी गर लड़की को,

मां आदिशक्ती का रूप मान लिया है तूने।


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