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Akhilesh Kumar Mishra

Drama Inspirational

5.0  

Akhilesh Kumar Mishra

Drama Inspirational

तू न बिखर

तू न बिखर

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उठ खड़ा हो, चल निडर,

धर्म की इस राह पर,

तूफाँ अग़र आ जाये तो,

तू न बिखर, तू न बिखर।


है पता, तुझको यहाँ,

कलिकाल ये दौर है,

असत्य है, अधर्म है,

हिंसा ही तो हर ओर है।


तू जानता है, मानता है,

फिर भी तू अंजान है,

है डगर मुश्किल मग़र,

तू ही पायेगा शिखर।


तूफाँ अग़र आ जाये तो,

तू न बिखर, तू न बिखर,

हर जीव, हर जन्तु भी,

परमात्मा का रूप है।


है रूधिर सब में वही,

उसका वही स्वरूप है,

क्यों असहज है व्यक्ति,

इस शान्ति समाज में।


सबका यही कर्त्तव्य है,

सब करें सबकी फ़िकर,

तूफाँ अग़र आ जाये तो,

तू न बिखर, तू न बिखर।


रामायण, गीता, गुरूसाहिब,

बाइबल और कुरान में,

सत्य, अहिंसा, भाईचारा,

हम फैलाएँ इस संसार में।


धर्म अलग है तो क्या,

हम सभी एक हैं,

जन्म लेते हैं सभी,

मृत्यु निश्चित है मग़र।

तूफाँ अग़र आ जाये तो,

तू न बिखर, तू न बिखर।।


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