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Akhilesh Kumar Mishra

Abstract

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Akhilesh Kumar Mishra

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भाभी माँ

भाभी माँ

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भौजी कहूँ, भाभी कहूँ या कहूँ भाभी माँ,

आपके आशीष से ही सम्भव हो सका,

अपना लक्ष्य पाया और छू सका आसमाँ

भौजी कहूँ, भाभी कहूँ या कहूँ भाभी माँ।


सबसे पहले भाभी माँ का जगना,

भोर की वो आरती, घण्टी की टनटन,

कानों में पड़ते गायी, मानस की मधुर चौपाइयां

भौजी कहूँ, भाभी कहूँ या कहूँ भाभी माँ।


छोटों को इतना प्रेम करना,बड़ों को इतना सम्मान,

आपसे से ही हम सबने सीखा,

कष्टों में बन जाना एक दूसरे की परछाइयां

भौजी कहूँ, भाभी कहूँ या कहूँ भाभी माँ।


आप तो क्षमाशील है, क्षमा कर देती हैं,

हम तो अभी नादान है,बच्चें है,

कभी कभी हो जाती हैं, हमसे भी गलतियाँ

भौजी कहूँ, भाभी कहूँ या कहूँ भाभी माँ।


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