तू मेरा ना रहा
तू मेरा ना रहा
कभी सुबह उठ कर
आखें खुलते ही
फोन उठाकर तुम्हारे
मैसेज का बेसब्री से इंतजार
कर रही थी
अब महीनों से कोई संपर्क नहीं
फिर भी कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा
अब तू मेरा ना रहा।
तुम्हें ना देख कर जो सासें थमती थी
बेचैनी रह रह कर सताती थी
कभी हम एक दूसरे में समाए थे
पर वो एहसास कहां गया
अब तू मेरा ना रहा।
मेरे चाय की चुस्की में
तुम्हारे हातों के गरमाहट
दोनों के बिना दीन की शुरुआत
होता था कहां
पर अब दिन क्या रात तक भी
नहीं पड़ता तुम्हारा साया
अब तू मेरा ना रहा।
मेरे कागज़ पे हर एक बूंद
जो तुम्हारे प्यार के
एक प्यारा नज़्में बनाते थे
आज भी मैं लिखती हूं
स्याही के रंग बदल कर
पर उसमे तुम हो कहां?
अब तू मेरा न रहा।
रातों की नींद उड़ने में
मिलता था एक अजब सि खुशी
तुम्हे सोच कर रातें भी
छोटी हो जाती थी
पर मैं अभी रात भर सोती हूं
पर उस बेचैनी जैसा चैन कहां
अब तू मेरा ना रहा।
वो मत पहनो ये पहनो
ये तो तुमपे ज्यादा जंचेगा
और मैं भी मान लेती थी पर अब
तुम्हारे हर एक पसंदीदा चीज
मेरे नापसंद बन गया
अब तू मेरा ना रहा।
तुम्हारे बिना जो कुछ नहीं सोचती थी
अब भूल गई हूं तुम्हे
तुम मुझे बेवफा मानो या खुद को
जमाने को गलत ठैराओ या बक्त को
चाहें गलत बोले सारा जहां
अब तू मेरा ना रहा।