तू ज़िंदा है ~ उत्कर्षिणी सिंह
तू ज़िंदा है ~ उत्कर्षिणी सिंह
तू ज़िंदा है, तू ज़िंदा है, तू जिंदगी से आगे बढ़
लगे जो हिंद की हुंकार, तू शेर-सी दहाड़ दे
कांप जाए, ठहर जाए दुश्मनों के काफिले,
रुके वहीं, मुड़े वहीं, मुड़ के वह वापस चले
डरो नहीं, डटे रहो, वीर तुम खड़े रहो
उड़ा के दुश्मनों का सर, तू हिंद की तलवार बन
देश की पुकार सुन, तू हिंद की दीवार बन
तू वीर है, तू धीर है, तू शोलों में भी हंसता चल
तू ज़िंदा है, तू ज़िंदा है, तू जिंदगी से आगे बढ़।।
तू ज़िंदा है, तू ज़िंदा है, तू जिंदगी से आगे बढ़
तेरे विमान की दहाड़ हिला दे दुश्मनों का दिल
सुन उसे थम जाएं दुश्मनों के कदम,
वहीं पर खड़े हो मिट्टी में जाए वो मिल
तू घन सा छा, बिजली की तरह कड़क
आग का तू गोला है, शोला बन के भड़क
यमराज बन मृत्यु को तू धार दे
हिंद की तू शान है, मुश्किलों को तार दे
तू वीर है, तू धीर है, तू रोशनी से तेज़ चल
तू ज़िंदा है, तू ज़िंदा है, तू जिंदगी से आगे बढ़।।
तू ज़िंदा है, तू ज़िंदा है, तू जिंदगी से आगे बढ़
तेरी यह दहाड़ है, समुद्र का ही क्रोध है
तेरा यह समुद्र यान, शत्रु का पहला अवरोध है
समुद्र सा विशाल है, तेरा ही आकार है
अनिमेष है, अटल है तेरी दृष्टि सटीक है
इंद्र बन के तू बरस, बादलों सा तू गरज
तू वीर है तू धीर है लहरों को तू चीरता चल
तू ज़िंदा है, तू ज़िंदा है, तू जिंदगी से आगे बढ़।।