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Utkarshini Singh

Classics Inspirational Children

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Utkarshini Singh

Classics Inspirational Children

ऐसा भारत देश है मेरा

ऐसा भारत देश है मेरा

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जहाँ खेतों में कनक लहराए, 

जहाँ माटी की खुशबू सूंघ रोम रोम खिल जाय, 

जहाँ कीचड़ भी अमृत बन जाए,

जहाँ हर दिन जश्न-ए- बहारा बन के आए, 

ऐसा भारत देश है मेरा ।


जहाँ हिमालय आकाश- जमीन का मेल कराय, 

जहाँ हर खिड़की एक नया नज़ारा दिखाय, 

जहाँ बागों में कलियों संग बच्चे मुस्काय, 

जहाँ चिड़ियों की ची ची सुबह जगाय, 

ऐसा भारत देश है मेरा।


जहाँ नदियों को भी माता कहके पुकारा जाए, 

जहाँ गंगा - यमुना - सरस्वती का संगम बन जाए, 

जहाँ पत्थर भी पूजा जाए, 

जहाँ माता-पिता भवावान कहलाएँ, 

ऐसा भारत देश है मेरा।


जहाँ दिवाली -ईद सब संग मनाए, 

जहाँ क्या अपने क्या पराय, 

जहाँ ईद पर खाला सेवई बनाए, 

जहाँ दिवाली में रामू काका रसमलाई मंगाए, 

ऐसा भारत देश है मेरा।


जहाँ दुख में सब एकजुट हो जाए और सुख से संग खिलखिलाए, 

जहाँ वक्त आए तो आँधी हो या तूफ़ान रेगिस्तान या

बर्फ़ का मैदान हर आंगन से वीर पैदा हो जाए, 

जहाँ जिस मिट्टी ने जीवन के सातों रंगा दिखाय,

उस मिट्टी को चूम सीना फोलादों सा हो जाए, 

ऐसा भारत देश है मेरा।


जहाँ दियों की रोशनी से हर घर जगामगाय, 

जहाँ हृदय प्रसन्न हो जाए, 

जहाँ संत्री पलक तक ना झपकाए,

जहाँ तिरंगा गर्व से लहराए,

ऐसा भारत देश है मेरा ।

ऐसा भारत देश है मेरा।

ऐसा भारत देश है मेरा।

ऐसा भारत देश है मेरा। 

जय हिन्द, जय भारत।


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