तू गैर की बाँहों में थी
तू गैर की बाँहों में थी
मेरी आँखों में नींद
और दिल में बेचैनी सी थी
पर मुझे कहाँ सोने की थी
मुझे तो हर पल तेरी याद सी थी।
रोता था मैं तेरे लिये
पर तू तो
किसी गैर की बाँहों में थी।
हर-पल जलता था
मैं तेंरे लिये
पर तू तो कहीं और खुश थी।
मुझे तेरे जिस्म की नहीं
तेरी रूह की तलब थी
पर तू तो किसी गैर की बाँहों में थी।
मुझे लगता था
तेरे जिस्म में गर्मी कुछ ज्यादा थी
तभी तो तेरे जिस्म से
कोई गैर लिपटा था।
तेरे जिस्म और रूह पर
सिर्फ हक तो हमारा था
पर तूने तो किसी और के हवाले कर दिया
क्योंकि वक्त तो हमारा ख़राब था।

